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SATOSHI, JACK DORSY

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ट्विटर के फाउंडर ने ही बिटकॉइन बनाया: दावा- जैक डोर्सी ही सतोशी नाकामोतो

दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के फाउंडर जैक डोर्सी हैं। यह दावा डी-बैंक्ड के एडिटर इन चीफ सीन मरे
ने किया है। मरे के मुताबिक, बिटकॉइन की ग्रोथ और ट्विटर के फाउंडर डोर्सी से जुड़ी सभी घटनाएं आपस में काफी
मिलती-जुलती हैं।

बिटकॉइन को किसने बनाया ?

दुनिया अब तक यह नहीं जान पाई है। इसलिए इसके फाउंडर को एक काल्पनिक नाम दिया
गया है जिसे ‘सतोशी नाकामोतो' कहा जाता है।

रियल लाइफ में इस नाम कोई व्यक्ति या ग्रुप नहीं है।

सीन मरे ने 'जैक डोर्सी सातोशी नाकामोतो कैसे हैं' नाम से एक X पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने कई फैक्ट्स और
टाइमलाइन भी शेयर किए।

पोस्ट में उन्होंने डोर्सी की यूनिवर्सिटी के दिनों में क्रिप्टोग्राफी में गहरी रुचि के बारे में बताया।

हैशकैश के फाउंडर एडम बैक की RSA टी-शर्ट पहनने की जानकारी दी और डोर्सी के क्रिप्टोग्राफिक न्यूजलेटर और
एन्क्रिप्शन की पढ़ाई के बारे में बताया।

कैसे जैक डोर्सी ही सतोशी नाकामोतो है

10 जनवरी 2009 को सतोशी नाकामोतो ने IRC चैट में लॉग इन किया।
इसमें IP एड्रेस कैलिफोर्निया आया। उस समय डोर्सी भी कैलिफोर्निया में ही थे।

बिटकॉइन का पहला लेन-देन डोस की मां के जन्मदिन पर हुआ था। सतोशी भी डोर्सी के जन्मदिन पर बिटकॉइन फोरम में शामिल हुए।

डोर्सी के पिता के जन्मदिन पर आखिरी बार बिटकॉइन के फाउंडर ने इसके लास्ट ब्लॉक के बारे में जानकारी इकट्ठा की थी। सतोसी ने बिटकॉइन का जो एड्रेस जनरेट किया था वह डोर्सी के सैन फ्रांसिस्को के पते- 'जैक डोर्सी 2 मिंट प्लाजा'
के पैटर्न से मिलता-जुलता है।

2007-2009 के बीच डोर्सी के ट्विटर बायो में 'सेलर' यानी नाविक लिखा था। ओरिजिनल बिटकॉइन कोड में भी इसी
से जुड़ा एक फ्रेज लिखा हुआ है।

सीन मरे के रिसर्च की बड़ी बातें...

• ऑटोबायोग्राफी में क्रिप्टोग्राफिक की चर्चा :
2003 में डोर्सी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी लिखी। इसमें उन्होंने हैकिंग और क्रिप्टोग्राफिक प्रोजेस्ट्स में काम करने की बात बताई और बताया कि वहां अक्सर सुबह 4 बजे काम होता था। मरे ने बताया कि शुरुआती बिटकॉइन कोड डॉक्यूमेंट्स पर सुबह 4 बजे के करीब टाइमस्टैम्प लगाया जाता था। यह कोई संयोग नहीं था।

• डॉलर से निर्भरता कम करने की बात :
डोर्सी ने फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस और ट्रेड के अन्य सिस्टम के बारे में भी अपने विचार दिए थे। उन्होंने एक बार अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और बार्टर सिस्टम के बारे में लिखा था। ये सब कुछ बिटकॉइन के ओरिजिनल विजन हैं।

• बिटकॉइन की टाइमलाइन के साथ अजीब संयोग :
सितंबर 2007 और जनवरी 2009 के बीच डोर्सी के ट्विटर ( अब X) बायो में एक शब्द में 'सेलर' यानी नाविक लिखा था। ओरिजिनल बिटकॉइन कोड में भी इसी तरह से एक फ्रेज लिखा हुआ है- 'नाविक: कभी भी दो क्रोनोमीटर लेकर समुद्र में न जाएं - एक या तीन लेकर जाएं।'

• सतोशी का अदृश्य बने रहना :
2010 में सतोशी ने बिटकॉइन फोरम पर विकीलीक्स को क्रिप्टोकरेंसी दान न करने की सलाह देते हुए पोस्ट किया। इसके अगले ही दिन ट्विटर को नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन के बारे में डिटेल मांगने वाला एक समन मिला। इस घटना के कुछ दिन बाद सतोशी पब्लिक डिक्सशन से बाहर हो गए।

• सतोशी का आखिरी मैसेज - बीजी हूं, तब डोर्सी स्क्वायर लॉन्च कर रहे थे :
मार्च 2011 डोरसी ट्विटर के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बने। इसके साथ वे स्क्वायर को भी लीड कर रहे थे। एक महीने बाद सतोशी ने अपना लास्ट मैसेज भेजा। जब सतोशी ने मार्टी माल्मी से कहा कि वह काम में काफी व्यस्त हैं, तो डोर्सी स्क्वायर को लॉन्च करने में पूरी तरह से व्यस्त थे। यह कोई संयोग नहीं है।

कौन है सतोशी नाकामोतो ?

सतोशी नाकामोतो कौन है, कहां रहता है कोई नहीं जानता।

31 अक्टूबर 2008 को सतोशी ने क्रिप्टोग्राफी करने वाले एक ग्रुप को 9 पेज एक फॉर्मेट भेजा था। बिटकॉइन नाम के इलेक्ट्रॉनिक कैश के बारे में डिटेल जानकारी दी गई थी। तब लोगों को नाकामोतो की पहचान से कोई मतलब नहीं था । पहले तो इस ग्रुप के ज्यादातर लोगों को बिटकॉइन के आइडिया पर ही कनफ्यूजन था।

रिपोर्ट के मुताबिक, हैल फिने, निक स्जाबो, डेविड चाउम और वेई दाई जैसे क्रिप्टोग्राफर और डेवलपर्स ने 10 साल से ज्यादा की कोशिश के बाद भी कैश के इलेक्ट्रॉनिक वर्जन को डेवलप करने में सक्सेस नहीं हो पाए ।

सतोशी नाकामोतो के बारे में 2011 के बाद खबर नहीं

2011 के बाद से सतोशी नाकामोतो के बारे में कुछ नहीं सुना गया है, लेकिन बिटकॉइन बनाने वाले इस नाम का प्रभाव
आज भी काफी ज्यादा है।

नाकामोतो के बिटकॉइन वॉलेट में 10 लाख से ज्यादा बिटकॉइन हैं, जिसकी मौजूदा कीमत करीब 84.47 लाख करोड़ रुपए है।

इन फंड्स के किसी भी एक्शन का प्रभाव क्रिप्टोकरेंसी मार्केट पर बहुत बड़ा हो सकता है।

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क्या है क्रिप्टो करेंसी ?

क्रिप्टो करेंसी ऑनलाइन पेमेंट का एक तरीका है।

इसका इस्तेमाल वस्तु और सेवाओं का पेमेंट करने के लिए किया जाता है।

क्रिप्टो करेंसी एक नेटवर्क बेस्ड डिजिटल करेंसी है।

इसे कंपनी या इंडिविजुअल कोई भी टोकन के रूप में जारी कर सकता है।

इन टोकन्स का इस्तेमाल इसे जारी करने वाली कंपनी के सामान खरीदने या सर्विस लेने के बदले ही होता है।

इसे किसी देश के करेंसी की तरह कंट्रोल नहीं किया जा सकता है।

इसका पूरा ऑपरेशन ऑनलाइन होता है, जिसके चलते इसमें उतार चढ़ावा होता रहता है।

दुनिया की पहली क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के तौर पर रिलीज किया गया था।

इसे बनाने वाली ग्रुप को सतोशी नाकामोतो के नाम से जाना जाता है।

सवाल 1: बिटकॉइन के हाई पर पहुंचने की क्या वजह हैं ?

जवाब: आर्थिक, राजनीतिक और नियामक बदलावों से ये ऑल-टाइम हाई पर है:

• अमेरिकी नीति में बदलाव: राष्ट्रपति ट्रम्प ने क्रिप्टो अनुकूल नीतियां लागू की हैं। जैसे बैंकों पर क्रिप्टो कंपनियों के साथ
काम पर लगी पाबंदी हटाना।

• संस्थागत निवेश में बढ़ोतरी: बड़े संस्थागत निवेशकों ने बिटकॉइन ETFS में अरबों डॉलर का निवेश किया है, जिसने मांग
को बढ़ाया।

• क्रिप्टो मार्केट में बढ़ती स्वीकार्यता : लंदन और थाईलैंड जैसे बाजारों में भी क्रिप्टो ETF को स्वीकृति मिलने से इसकी
स्वीकार्यता बढ़ी है।

सवाल 2: बिटकॉइन क्या है और कैसे काम करता है ?

जवाब :

यह ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करता है।

कल्पना करें कि एक बहीखाता है, जिसमें दुनिया भर के बिटकॉइन लेनदेन लिखे जाते हैं। इस बहीखाते को ब्लॉकचेन कहते हैं, और यह हजारों कंप्यूटरों पर एक साथ मौजूद होता है।

ब्लॉकचेन एक डिजिटल कॉपी की तरह है जो जानकारी, जैसे लेनदेन को रिकॉर्ड करती है।

इसे हर कोई देख सकता है, लेकिन कोई बदल या मिटा नहीं सकता। यह कई कंप्यूटरों पर साझा होती है, इसलिए यह सुरक्षित और भरोसेमंद है।

जब आप किसी को बिटकॉइन भेजते हैं, यह लेनदेन ब्लॉकचेन में दर्ज होता है।

इसे जांचने और सुरक्षित करने का काम "माइनर्स" करते हैं, जो अपने कंप्यूटरों की ताकत से गणितीय समस्याएं हल करते हैं। बदले में, उन्हें नए बिटकॉइन मिलते हैं।

यह सिस्टम इसलिए खास है क्योंकि इसमें कोई एक संस्था सारा नियंत्रण नहीं रखती ।

बैंक में आपके पैसे का हिसाब बैंक रखता है, और अगर बैंक गलती करता है या दिवालिया हो जाता है, तो आपका पैसा खतरे में पड़ सकता है।

लेकिन बिटकॉइन में, ब्लॉकचेन हर लेनदेन को पारदर्शी और सुरक्षित रखता है, और इसे हैक करना लगभग असंभव है
क्योंकि यह दुनिया भर के कंप्यूटरों पर बंटा हुआ है।

सवाल 3: ब्लॉकचेन कैसे काम करती है ?

जवाब : ब्लॉकचेन को ब्लॉकों की एक श्रृंखला के रूप में सोचें।

प्रत्येक ब्लॉक कॉपी का एक पेज है जिसमें लेनदेन की सूची होती है (जैसे, आदित्य ने विक्रम को 100 रुपए भेजे) ।

जब ब्लॉक भर जाता है, तो उसे लॉक कर दिया जाता है और पिछले ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है।

नोड्स नामक कंप्यूटर इस जानकारी को जांचते और स्टोर करते हैं, यह सुनिश्चित करके कि यह सही और सुरक्षित है।

ब्लॉकचेन बहुत सुरक्षित भी है, क्योंकि यह डेटा को बचाने के लिए गणित और कोड का उपयोग करता है। चूंकि कई कंप्यूटर
ब्लॉकचेन की कॉपी रखते हैं, इसे हैक करना मुश्किल है।

सवाल 4: बिटकॉइन को डिजिटल सोना क्यों कहते हैं ?

जवाब : बिटकॉइन की एक खास बात यह है कि इसकी कुल संख्या 21 मिलियन है। इससे ज्यादा बिटकॉइन कभी नहीं बनेंगे।
यह नियम इसकी तकनीक में पहले से ही लिखा हुआ है।
अगर बिटकॉइन अनलिमिटेड बनते, तो जैसे ज्यादा नोट छापने से सामान की कीमतें बढ़ जाती हैं, वैसे ही बिटकॉइन की
कीमत कम हो सकती थी। इस सीमित आपूर्ति की वजह से इसे "डिजिटल सोना" कहा जाता है, क्योंकि यह दुर्लभ और
कीमती है।

सवाल 5: बिटकॉइन और फिएट करेंसी में क्या फर्क है ?

जवाब : फिएट करेंसी वह नोट या सिक्का है, जिसे सरकार छापती है, जैसे भारत में 500 रुपए का नोट । अगर सरकार कह
दे कि यह नोट अब मान्य नहीं है, जैसा कि 2016 में नोटबंदी के दौरान हुआ, तो उसकी कीमत शून्य हो सकती है।
लेकिन, बिटकॉइन सोने की तरह है जिसकी अपनी आंतरिक कीमत है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह भी सोने की तरह दुर्लभ है
और इसे सरकार नियंत्रित नहीं कर सकती।

पहले लोग अनाज या सोना देकर चीजें खरीदते थे। फिर सरकार ने कागजी नोट छापे । पहले, करेंसी की कीमत सोने या चांदी
जैसे भौतिक संसाधनों पर आधारित होती थी । जितना सोना आपके पास है, उतनी ही करेंसी आप छाप सकते थे।

...फिर भौतिक आधार की शर्त को हटा दिया गया। यानी, सरकार जितने चाहे उतने नोट छाप सकती है। लेकिन इससे महंगाई
बढ़ती है। बिटकॉइन इस पूरी व्यवस्था को बदल देता है।

सवाल 6: क्या बिटकॉइन खरीदना रिस्की है ?

जवाब : हां, बिटकॉइन रिस्की हो सकता है। इसकी कीमत बहुत ऊपर-नीचे होती है। वॉलेट का पासवर्ड भूलने से भी
बिटकॉइन खो सकता है। साथ ही, कुछ देश इसके लिए सख्त नियम बना सकते हैं।

• बाजार की अस्थिरता :
बिटकॉइन की कीमत में बहुत उतार-चढ़ाव होता है । एक दिन में 10-20% कीमत बदल सकती है, जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है।

• नियामक अनिश्चितता :
कई देशों में क्रिप्टो के लिए स्पष्ट नियम नहीं हैं। सरकारें अचानक बैन या सख्त नियम ला सकती हैं, जिससे कीमत गिर सकती है।

• तकनीकी जटिलता :
 बिटकॉइन को सुरक्षित रखने के लिए तकनीकी जानकारी जरूरी है। गलती से की खोने पर निवेश डूब सकता है।

सवाल 7: बिटकॉइन के फायदे और नुकसान क्या है ?

फायदे :

• डीसेंट्रलाइजेशन : कोई सरकार या बैंक इसे नियंत्रित नहीं करता, जिससे यह स्वतंत्र और पारदर्शी है।

• महंगाई से सुरक्षा : इसकी सीमित आपूर्ति इसे महंगाई से बचाती है।

• ग्लोबल ट्रांजैक्शन: यह खासकर विदेश में पैसे भेजने का सबसे तेज और सस्ता तरीका है।

• ब्लॉकचेन की ताकत: यह लेनदेन को सुरक्षित बनाता है।

नुकसान  :

• अस्थिरता  :  बिटकॉइन की कीमत बहुत तेजी से बदलती है, जिससे निवेश जोखिम भरा है।

• अवैध उपयोग : मनी लॉन्ड्रिंग और हथियारों की अवैध खरीदारी जैसे कामों में इस्तेमाल।

• ऊर्जा खपत : माइनिंग में बिजली की भारी खपत पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है।

सवाल 8  : बिटकॉइन का भविष्य क्या है ?

जवाब: अगर ज्यादा लोग और कंपनियां बिटकॉइन इस्तेमाल करें, तो यह और बड़ा हो सकता है। यह ऑनलाइन सामान्य पैसे
की तरह बन सकता है, लेकिन इसके लिए नई तकनीक और सरकारी अनुमति जरूरी है।
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